दुधालेश्वर महादेव मंदिर टॉडगढ़ | DUDHALESHWAR MAHADEV MANDIR TODGARH

 दुधालेश्वर महादेव मंदिर टॉडगढ़ | DUDHALESHWAR MAHADEV MANDIR TODGARH

DUDHALESHWAR MAHADEV MANDIR TODGARH

नमस्कार दोस्तों, इस पोस्ट में हम आपको दुधालेश्वर महादेव मंदिर निर्माण से जुड़ा इतिहास, और दर्शन संबंधी सम्पूर्ण जानकारियां देंगे । तो पोस्ट को पूरा पढ़ें और किसी तरह की कमी नजर आए तो कमेंट अवश्य करें ।

दुधालेश्वर महादेव मंदिर वीडियो लिंक

दुधालेश्वर महादेव मंदिर, अजमेर और राजसमंद जिले की सीमा पर अरावली की पहाड़ियों के मध्य स्थित है । दुधालेश्वर महादेव मंदिर टॉडगढ़ गांव से मात्र 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, पहाड़ियों के बीच से निकलती टेढ़ी मेढी सड़क और घाटियों की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों और श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है ।

यह मंदिर लगभग 600 साल पुराना है, लोककथाओं के अनुसार कहा जाता है कि यहां एक ग्वाला अपनी गायें चराया करता था और साथ ही भगवान शिव की भक्ति किया करता था उसकी भक्ति और आस्था से प्रसन्न होकर भोलेनाथ यहां साधु के वेश में आए, और ग्वाले से पानी, दूध और भोजन मांगा ।

ग्वाले ने साधु से कहा की बाबा भोजन पानी तो दोहपर में ही खत्म हो गया था, और दूध तो बिना बछड़ों के गायें देगी नहीं, आप यही इंतजार करो मैं यहां से कुछ दूरी पर निलवाखोला कुंड जाकर वहां से जल, दूध व भोजन लाने की कोशिश करता हूं ।

ग्वाला रवाना होने लगा तो साधु बाबा ने रोका और वहीं जमीन से घास का गुच्छा उखाड़ने को कहा, और जैसे ही ग्वाले ने घास का गुच्छा उखाड़ा तो जमीन से जलधारा फूट पड़ी । ग्वाला यह देखकर हैरान हुआ और सोचने लगे कि यह साधु कोई साधारण संन्यासी नहीं बल्कि स्वयं भोलेनाथ ही हो सकते है ।

दुधालेश्वर महादेव मंदिर वीडियो लिंक

बाबा ने जल पीकर गायों की ओर देखकर दूध मांगा । ग्वाला बोला बाबा बिना बछड़ों के गायेँ दूध नहीं देगी । तब बाबा ने ग्वाले से जलधारा पर पानी पीने आई पहली बछड़ी का दूध निकालने को कहा ।

ग्वाला बोला कि ये तो बछड़ी है, ये अभी दूध नहीं देती । जब बाबा ने फिर कहा तो ग्वाले ने बछड़ी के स्तनों से दूध निकालने हेतु हाथ आगे बढ़ाया ही था कि बछड़़ी के स्तनों से दूध की धारा फूट पड़ी ।

कहा जाता हैं कि इसलिए इस स्थान का नाम दूधालेश्वर पड़ा ।

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फिर बाबा ने अपनी जटाओं में से एक डेगची और चावल के कुछ दाने निकालकर ग्वाले को खीर बनाने के लिये दिये, यह देखकर ग्वाले को पूर्ण विश्वास हो गया कि यह साक्षात भोलेनाथ ही है । ग्वाले ने डेगची में दूध डाला और चावल के कुछ दाने डाले और खीर बनाई । देखते ही देखते डेगची भर गई और उसी खीर से वहां सभी ने भरपेट खाया, परंतु डेगची में खीर समाप्त नहीं हुई ।

खीर खाने के बाद बाबा वहां से जाने लगे तो ग्वाले ने उनसे आशीर्वाद लिया, और उसी स्थान पर ग्वालों ने मिलकर भोलेनाथ की प्रतिमा स्थापित कर भक्ति आराधना शुरू कर दी ।

जहां बाबा ने पानी निकाला था उसी स्थान पर आज भी छोटी पवित्र बावड़ी है जिसे गंगा मैया नाम दिया गया है । कहा जाता हैं कि बावड़ी में जलधारा निरन्तर एक ही प्रवाह से बह रही है । इस बावड़ी के जलस्तर पर अतिवृष्टि और अनावृष्टि का कोई प्रभाव नहीं पड़ता । यहां आने वाले श्रद्धालु इस बावड़ी के पानी में सिक्के डालकर बुलबुलों के उठने में अपनी मनोकामनाओं का फल देखते हैं ।

दुधालेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या और महाशिवरात्रि पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास के गावों और शहरों से हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं और नाच गाने का अयोजन करते हैं ।

दुधालेश्वर महादेव मंदिर पहाड़ियों और जंगल के बीचों बीच मौजूद है, यहां आने वाले श्रद्धालुओं को जंगली जानवरों जैसे, बघेरा, भालू, लोमड़ी, आदि दिखाई दे जाते हैं । यहां पास ही एक तालाब भी मौजूद है जहां का नजारा काफी खूबसूरत है ।

यदि आप भी दुधालेश्वर महादेव मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो सड़क मार्ग से अजमेर जिले के भीम शहर से लगभग 10 – 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । यहां से ऑटो और टैक्सी उपलब्ध हो जाते है ।

DUDHALESHWAR MAHADEV MANDIR TODGARH

ट्रेन से यात्रा करने वालो के लिए सोजत रोड रेलवे स्टेशन इस मंदिर का निकटतम रेलवे स्टेशन है ।

तो चलिए वापसी करते हैं, जल्दी ही इसी तरह के किसी नई पोस्ट के साथ वापस लौटेंगे  ।

धन्यवाद ।

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