वीर तेजाजी मंदिर खरनाल | VEER TEJAJI MANDIR KHARNAL

वीर तेजाजी मंदिर खरनाल | VEER TEJAJI MANDIR KHARNAL

VEER TEJAJI

यदि आप वीर तेजाजी जन्मस्थली खरनाल तेजाजी मंदिर का इतिहास और दर्शन संबंधी सम्पूर्ण जानकारियां चाहते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरूर देखें ।

इतिहास के अमर योद्धाओं में वीर तेजाजी का नया स्वर्णीम अक्षरों में लिखा गया है, ये इतिहास के एकमात्र योद्धा है जिन्होंने 350 चोरों को अकेले हराया ।

इतिहास का हर युद्ध जर जोरू और जमीन को लेकर हुआ हैं, केवल ये ही ऐसा युद्ध था जो किसी अबला नारी के गोधन को रक्षार्थ लड़ा गया ।

कलयुग के देवता, परमवीर तेजाजी का जन्म नागौर जिले के खरनाल गांव में धौलिया गौत्रीय जाट परिवार में विक्रम संवत 1130 माघ शुक्ल चौदस के शुभ दिन हुआ था । तेजाजी के पिता का नाम ताहड़देव जी धौलिया और माता रामकुंवरी थी । तेजाजी के पांच बड़े भाई और एक छोटी बहन राजल थी ।

वीर तेजाजी ने अपने वचन पालन और लाछां गुर्जरी के गौधन की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देकर सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपना नाम अमर कर दिया ।

तेजाजी जन्मस्थली खरनाल में तेजाजी का मंदिर बना हुआ है, वर्तमान में वीर तेजाजी का नया व भव्य मंदिर निर्माण कार्य जारी है । कहा जा रहा है कि इसकी लागत लगभग 200 करोड़ रूपए होगी ।

वर्तमान में तेजाजी के वंशज धौलिया गोत्रीय जाट परिवार तेजाजी मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में कार्य करते हैं । तेजाजी मंदिर की छत पर लीलण पर सवार तेजाजी की विशाल प्रतिमा स्थापित है ।

खरनाल गांव के तालाब की पाल पर लीलण घोड़ी के समाधि स्थल पर लीलण का मंदिर बना हुआ है, इसी स्थान पर तेजाजी के बलिदान के पश्चात लीलण ने खरनाल आकर तेजाजी के कहे वचन माता रामकुंवरी और बहन राजल को सुनाये । इसी स्थान पर लीलण ने तेजाजी के वियोग में प्राण त्याग दिये ।

इसी तालाब की पाल पर बडको की छतरी भी स्थित है, पत्थरों से निर्मित इस छतरी के बीचोंबीच शिवलिंग स्थापित है । जहाँ तेजाजी प्रतिदिन शिवजी की उपासना किया करते थे । पनेर प्रस्थान से पूर्व तेजाजी ने इसी छतरी पर श्रृंगार किया था ।

बुंगरी माता का मंदिर गांव के बाहर की तरफ बना हुआ है, इसी स्थान पर तेजाजी की बहन राजल, तेजाजी के बलिदान की खबर सुनकर धरती में समा गई । यह मंदिर नाड़ी की पाल पर बना हुआ है ।

तेजाजी की जीवनी को प्रदर्शित करती तेजाजी पेनोरमा का निर्माण भी खरनाल में करवाया गया है । तेजाजी पेनोरमा में तेजाजी के जन्म से तेजाजी के बलिदान तक की घटनाओं को चत्रित किया गया है, उन्हें मूर्त रूप दिया गया है ।

तेजाजी मंदिर खरनाल दर्शनों के लिए वर्षभर लाखों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते रहते हैं, सावन भादो माह में सम्पूर्ण राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात, हरियाण और उत्तरप्रदेश के गांव गांव से तेजाजी यात्रा खरनाल के लिए रवाना होती है, और भक्तगण नाचते गाते तेजाजी दर्शनों के लिए आते हैं ।

तेजाजी मंदिर खरनाल, नागौर शहर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर नागौर जोधपुर हाइवे पर स्थित है । नागौर रेलवे स्टेशन से आप यहां के लिए सड़क परिवहन का उपयोग कर सकते हैं ।

तेजाजी मंदिर सुबह 6 बजे से रात के 9 बजे तक दर्शनों के लिए खुला रहता है, इसके अलावा हर माह तेजा दशमी के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ नजर आती है । यहां हर वर्ष भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजाजी के निर्वाण दिवस के रूप में तेजादशमी पर्व मनाया जाता है । जिसके अंतर्गत नवमी तिथि को रात्रि जागरण होता है तथा दशमी तिथि को यहां विशाल मेले का आयोजन किया जाता है । इस समय लाखों की संख्या में तेजाजी के भक्त मंदिर में कच्चा दूध, पानी के कच्चे दूधिया नारियल एवं चूरमा चढ़ाते हैं ।

यहां माघ शुक्ल चौदस को हर वर्ष तेजाजी जन्मजयंती समारोह हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है । इस दौरान शोभायात्रा के रूप में तेजाजी की सवारी निकली जाती है उसके उपरांत प्रसादी के रूप में चूरमे का भंडारा किया जाता है।

खरनाल गांव में आज भी शादी विवाह में कोई घोड़ी नहीं चढ़ता, क्योंकि गांव वालों की श्रद्धा है कि इस गांव में घोड़ी केवल तेजाजी चढ़ते थे ।

तेजाजी को सम्पूर्ण भारतवर्ष में कृषिउपकारक लोकदेवता, के रूप में पूजा जाता है और लोगों का तेजाजी के प्रति अथाह श्रद्धा और विश्वास ही है जो उन्हें तेजाजी जन्मस्थली खरनाल की ओर आने को प्रेरित करता है ।

यह तेजाजी जन्मभूमि का प्रभाव ही है जो यहां आने वाले प्रत्येक श्रद्धालु को आत्मिक और मानसिक शांति का अहसास कराता है ।

तो चलिए वापसी करते हैं, जल्दी ही इसी तरह के किसी नई पोस्ट के साथ लौटेंगे।

धन्यवाद ।