ब्यावर का इतिहास | BEAWAR KA ITIHAS

ब्यावर का इतिहास | BEAWAR KA ITIHAS

BEAWAR

मैं ब्यावर बोल रहा हूँ !

अजमेर जिले का एक शहर ब्यावर !

आज मुझे भले ही बादशाह की सवारी, वीर तेजाजी मेले और ब्यावर की तिलपट्टी के लिए देशभर में जाना जाता है परंतु मेरा भी एक रोचक इतिहास रहा है । मेरी स्थापना कर्नल चार्ल्स जॉर्ज डिक्सन ने सन 1836 में की, इसका नाम ब्यावर खास नामक स्थानीय गांव के नाम पर रखा गया । ब्यावर ब्रिटिश भारत का हिस्सा था, और मेरवाड़ा जिले का प्रशासनिक मुख्यालय था ।

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मेरी स्थापना के समय मेरे यहाँ के चौड़े रास्ते, चार गेट और लंबी दीवारें थी जो समय के साथ बदली और चारदीवारी के भीतर से शुरू हुई शहर की बसावट आज कई किलोमीटर तक फैल चुकी है । चंग गेट, अजमेरी गेट, मेवाड़ी गेट और सूरजपोल गेट मेरे यहाँ के चार मुख्य दरवाजे है । मेरे यहाँ की अस्तित्व खोती प्राचीन दीवारें आज भी इतिहास जीवंत कर देती है । हालांकि 186 साल बाद भी ब्यावर जिला न बना हो, लेकिन यहां जिले जैसी हर सुविधा मौजूद है । आज मेरे यहाँ उप जिला अधीक्षक कार्यालय, तहसील मुख्यालय, पुलिस थाना, केंद्रीकृत बैंक, स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध है । दो साल पहले बनकर तैयार हुआ मेगा हाइवे रोड शहर की प्रमुख रोड है जो शहर के विकास को दिखाती है ।

मेरे यहाँ श्यामगढ़ का युद्ध काठातों और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया था । इस युद्ध में अंग्रेजों की जीत हुई और काठातों ने श्यामगढ़ के किले को त्याग दिया, लेकिन काठातों ने छापामार युद्ध नीति अपनाई जिससे अंग्रेजों को काफी नुकसान हुआ । इसलिए अंग्रेजों ने मेरे यहाँ सुरक्षा व सैन्य अभियानों के लिए सैन्य छावनी की स्थापना की ।

इतिहास के झरोखे से देखे तो मुझे सन 1842 में नगर परिषद का दर्जा हासिल हुआ, सन 1858 में मेरे यहाँ ऊन मंडी स्थापित हुई, सन 1876 में रेलगाड़ी का आरंभ किया गया, सन 1930 में नाथूलाल घीया ने नगर पालिका में तिरंगा फहराया, मेरे यहाँ सन 1934 में अछूतोद्धार आंदोलन के लिए महात्मा गांधी का आगमन हुआ, सन 1940 में वीर तेजाजी के दो दिवसीय मेले का शुभारंभ हुआ, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं ।

मेरे यहाँ की तिलपट्टी देश विदेश में अपनी एक पहचान बना चुकी है । यहां के कुशल कारीगरों द्वारा इलायची, पिस्ता, केसर आदि से इसे तैयार किया जाता है ।

मेरे यहाँ से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर नीलकंठ महादेव मंदिर धाम स्थित है, अरावली पर्वत श्रृंखला के बीच श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली नीलकंठ महादेव तीर्थस्थल के रूप में विख्यात है जहां प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर तीन दिनों का मेला लगता है । मेरे यह से 15 किलोमीटर की दूरी पर श्यामगढ़ माताजी धाम स्थित है ।

मेरे यहाँ से मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर प्राचीन कल्पवृक्ष मांगलियावास गांव में मौजूद है, यदि आप मांगलियावास कल्पवृक्ष का वीडियो देखना चाहते हैं तो लिंक डिस्क्रिप्शन में मौजूद हैं ।

कभी सूती मिलों की नगरी के रूप में प्रसिद्ध ब्यावर शहर अब सीमेंट उद्योग के रूप में अपनी पहचान बना चुका है । मेरे यहाँ से मात्र 8 किलोमीटर की दूरी पर राजस्थान की सबसे बड़ी सीमेंट फेक्ट्री, श्री सीमेंट प्लांट मौजूद हैं ।

मेरे यहाँ मुख्य व्यवसाय खेती रहा है, लेकिन लगातार घट रहे जलस्तर और खेती के अलाभकारी व्यवसाय में तब्दील होने के कारण, युवाओं का नौकरी और व्यापार के प्रति रुझान बढ़ा है ।

अब बात करेंगे सुंदर और आकर्षक दिखने वाले बिचड़ली तालाब की, जो शहर के मध्य में स्थित है । हालांकि लगातार प्रशासन की अनदेखी और अतिक्रमण की चपेट में आकर बिचड़ली तालाब अपना अस्तित्व खो रहा है । शहर के गन्दे पानी की आवक के कारण इसका जल प्रदूषित हो गया है और कचरे से भरा पड़ा है । 

मेरे यहाँ मुख्य मंदिरों में वीर तेजाजी मंदिर, रंगजी का मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर, देवनारायण मंदिर, प्राचीन म मंदिर, पंचमुखी बालाजी मंदिर, श्री शनिदेव मंदिर, भेरूजी मंदिर, बाबा रामदेव जी मंदिर, श्री जैन श्वेतांबर दादाबाड़ी आदि मौजूद हैं ।

मेरे यहाँ अन्य आकर्षण के रूप में तेजाजी मेला, ब्यावर की गजक, बादशाह की सवारी प्रसिद्ध है ।

मेरे यहाँ मुख्य स्थानों में चांग गेट चौराहा, बिट्ठल टावर, पांच बत्ती चौराहा, सूरजपोल दरवाजा, बस स्टैंड, ब्यावर रेलवे स्टेशन, तेजाजी चौराहा, फतेहपुरिया चौपड़, आदि है, मुख्य बाजारों में अग्रसेन बाजार फतेहपुरिया, पंसारी बाजार, लोहिया बाजार, महावीर बाजार, श्रद्धानन्द बाजार, पाली बाजार आदि है

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तो यह था मेरा स्वर्णिम इतिहास !

यदि आप मेरे यहाँ की यात्रा करना चाहते हैं तो रेलयात्रियों के लिए ब्यावर रेलवे स्टेशन मौजूद हैं, अजमेर अहमदाबाद जाने वाली सभी मुख्य यात्री गाड़ियों का ठहराव यहां पर है ।

बस यात्रियों के लिए ब्यावर बस स्टैंड बना हुआ है । मेरे यहाँ चारों तरफ मुख्य राजमार्गों का जाल बिछा हुआ है ।

मेरे यहाँ बोई जाने वाली फसलों में मुख्य फसलें है, गेंहू, बाजरा, कपास, मक्का, ज्वार, मूंग, मोठ, चना, ग्वार, तिल, आदि है ।

पोस्ट में किसी तरह की कमी नजर आए तो कमेंट अवश्य करें और यदि आप ब्यावर की यात्रा कर चुके हैं या यहां के निवासी हैं तो हमें बताएं कि कौनसी प्रसिद्ध जगह है जिसको इस पोस्ट में सम्मिलित किया जाना चाहिए था ।

ब्यावर

तो फिर मिलते हैं इसी तरह की किसी नई पोस्ट के साथ, तब तक के लिए नमस्कार ।

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