तिलस्वा महादेव भीलवाड़ा

तिलस्वा महादेव भीलवाड़ा

तिलस्वां महादेव मन्दिर

तिलस्वां महादेव मंदिर भीलवाड़ा जिले में बिजोलिया के पास तिलस्वां गांव में स्थित है । यह मंदिर भीलवाड़ा से लगभग 95 किमी दूर है । तिलस्वां महादेव मंदिर प्राचीन ऐतिहासिक काल के दौरान बनाया गया था, यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और उनकी मुख्य मूर्ति मंदिर क्षेत्र के अंदर स्थापित है । भगवान शिव की पूजा आगंतुकों द्वारा बहुत श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है । मंदिर की वास्तुकला बहुत ही उत्तम है और यह प्राचीन ऐतिहासिक काल की महान कला को स्पष्ट रूप से दर्शाती है ।

तिलस्वां महादेव मन्दिर के पीछे मान्यता ये भी है कि मध्यप्रदेश के हवन नामक राजा को कुष्ठ रोग हो जाने पर उसने देश मे कई तीर्थस्थलों का तीर्थाटन किया, मगर उसे कही भी कुष्ठ रोग से निजात नही मिल सकी तब उसे एक महात्मा ने बताया कि बिजोलिया से कुछ ही दूरी पर तिलस्वां में पवित्र कुंड है ।

तुम वहां पवित्र केसर गार का लेप करके वहां स्नान करके विधिवत पूजा अर्चना करके महादेव से प्रार्थना करोगे तो ये गम्भीर बीमारी दूर हो जाएगी और तुम्हारा कष्ट हमेशा के लिए दूर हो जायेगा ।

महात्मा के बताए अनुसार राजा ने तिलस्वांनाथ के नाम पर हवन किया व यहां की पवित्र केसर गार का लेप कर कुंड में स्नान करने व महादेव की आराधना से उसे चमत्कारी लाभ हुआ । तब से लेकर आज तक यहां देश भर से असाध्य बीमारियों से ग्रस्त रोगी आते है वे यहां केसर गार का लेप कर कुण्ड में आस्था की डुबकी लगाते है और दाद खाज खुजली, जैसी खतरनाक बीमारियों से निजात पा रहे हैं ।

मंदिर क्षेत्र के बगल में वही कुंड है, जो अपने पवित्र जल के लिए प्रसिद्ध है । इसलिए, कई लोग मंदिर में आते हैं और अपनी बीमारियों को ठीक करने के लिए पवित्र कुंड में स्नान करते हैं । महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर में हर साल एक बड़े मेले का आयोजन किया जाता है ।

तिलस्वां महादेव मंदिर एक आदर्श स्थान है जहाँ श्रद्धालु आत्मिक शांति प्राप्त कर सकते हैं । तिलस्वां महादेव मंदिर साल भर पर्यटकों के लिए खुला रहता है । मंदिर में सुबह 5:00 बजे से 11:45 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक दर्शन किए जा सकते हैं । यहां माता अन्नपूर्णा का मंदिर, तोरण द्वार, शनि मंदिर, विष्णु भगवान का मंदिर, गणेश मंदिर, महाकाल मंदिर, सूर्य मंदिर है । यहां मंदिर में भगवान शंकर की पूजा होती हैं यहां स्थापित शिव व पार्वती की मूर्तियां आदि काल से स्थापित है । तिलस्वां महादेव में मंगला आरती दर्शन सुबह चार बजे, राज आरती दर्शन सुबह नौ बजे, राज भोग सुबह ग्यारह बजे व संध्या आरती दर्शन सूर्यास्त पर होती है ।

यहां कुंड के बीच जाने के लिए सुंदर पुलिया का निर्माण करवाया गया है तथा उनके मध्य में एक और कुंड यानि बावड़ी है । इसके सम्मुख एक संगमरमर से गंगा माता मंदिर बना हुआ है ।

सालभर लाखों श्रद्धालु तिलस्वां महादेव मंदिर के दर्शन के लिए पहुंचते हैं । राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी भक्तजन यहां आकर पूजा-अर्चना करते कर परिवार की खुशहाली की कामना करते हैं । सावन मास के प्रत्येक सोमवार को श्रद्धालु जलाभिषेक व धार्मिक अनुष्ठान आदि कर भोलेनाथ को स्मरण करते हैं । इसके अलावा हर साल महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर विशाल मेला लगाया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं ।

तिलस्वां महादेव मंदिर रमणीक होने के साथ भोले के भक्तों के लिए उनकी अटूट आस्था का केन्द्र भी है । यही वजह है कि श्रावण मास में यहां का नजारा अद्भुत होता है । यहां दिनभर भक्ति संगीत के साथ अनुष्ठान और पूजा-अर्चना का कार्यक्रम चलता है । भोलेनाथ के जयकारों से मंदिर परिसर गुंजायमान रहता है ।

तिलस्वां महादेव मंदिर के बाहर की तरफ भोलेनाथ की विशालकाय मूर्ति लगभग 30 फुट ऊंची स्थापित है जो भक्तों को आकर्षित करती है ।

जय भोलेनाथ !!!

TILASWA MAHADEV MANDIR



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