एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की सल्तनत खो देता

दिल्ली के सुल्तान शेरशाह सूरी (17 मई 1540 – 15 मई 1545) ने बाबर के उत्तराधिकारी हुमायूं को हराकर दिल्ली पर अधिकार किया एवं लगभग 5 वर्ष तक शासन किया।  शेरशाह सूरी ने राजस्थान में मारवाड़ के शासक मालदेव की बढ़ती हुई शक्ति देखकर 1543 ई में मारवाड़ के निकट सुमेल गांव 80000 की फ़ौज़ मालदेव की 50000 की फ़ौज़ के साथ "गिरी-सुमेल" का युद्ध लड़ा । मालदेव ने शेरशाह की सेना के ऐसे दाँत खट्टे किये कि एक बार तो शेरशाह का हौसला पस्त हो गया। परन्तु अन्त में छल-कपट से शेरशाह जीत गया। फिर भी मारवाड़ से लौटते हुए यह कहने के लिए मजबूर होना पड़ा - ""खैर हुई वरना मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की सल्तनत खो देता।''
QUIZ. “एक मुट्ठी बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।“ यह कथन किसका है?
A. रणमल
B. हुमायूँ
C. शेरशाह
D. औरंगज़ेब
Answer: C

0 comments:

Post a Comment