आमज माता मंदिर रिछेड़

आमज माता मंदिर रिछेड़

आमज माता मंदिर रिछेड़ मुख्य द्वार 

आज हम आपको लेकर आए हैं आमज माता मंदिर रिछेड़, राजसमंद ।

आमज माता मंदिर रिछेड़ वीडियो लिंक

आमज माता का यह मंदिर जो की रिछेड़ माताजी के नाम से भी प्रसिद्ध है यह मंदिर रिछेड़ गांव की पहाड़ी पर स्थित है ।

ऐसा माना जाता है कि माताजी का यहाँ आगमन ग्राम ऊनवाँ से हुआ एवं वे पहाड़ी पर स्थित बाँस के पौधे से प्रगट हुई थी ।

एक अन्य कथा के अनुसार आमज माता का जन्म रावल कण्डजी के यहां हूआ था । कण्डजी के 24 पुत्र और 4 पुत्रियां थीं, जिसमें एक आमज थी, आमज के एक भाई का नाम दसाजी था जिन्होंने देसुरी बसाया, इनके वंशज दसाणा कहलाते हैं ।

AMAJ MATA MANDIR RICHHED

कहा जाता है कि नाडोल के राव लाखनजी ने देसुरी के तंवरो पर हमला कर दिया था तब आमज ने देवी शक्ति के रूप में आकर अपने भाई दसाजी के पुत्र रिछाजी तंवर की रक्षा की थी ।

कहा जाता है कि माताजी ने जहां पर्चा दिया था, वहां पर रिछाजी तंवर ने अपने नाम से रिछेड़ गांव बसाया और आमज माता के मंदिर की स्थापना की थी ।

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आमज माता मंदिर का निर्माण आज से लगभग 1300 साल पूर्व रीछा दसाणा ने करवाया था, उस समय माताजी की मुख्य मूर्ति बनाने में ढाई दिन का समय लगा था और मूर्ति भी ढाई फिट की थी ।

इससे 700 वर्ष पश्चात रीछा दसाणा के वंशजों ने मूर्ति का पुनर्निर्माण करवाया और सवा चार फिट की मूर्ति की स्थापना की जो आज भी मौजूद है ।

आमज माताजी का यह मंदिर केलवाड़ा-उदयपुर मार्ग पर ‘रीछेड़’ गांव से ३ कि.मी. की दूरी पर बायीं ओर एक पहाड़ी पर स्थित है ।  रोड़ पर माताजी मंदिर मुख्य द्वार है जहां से मंदिर परिसर तक पहुँचने हेतु लगभग 300 सिढ़ियाँ चढ़नी पड़ती है ।

सीढियां चढ़ते समय सबसे पहले ‘गणेश जी’ का मंदिर आता है, इसके पश्चात् ‘आमज माताजी’ का छोटा मंदिर एवं यहाँ से लगभग 15 – 20 फिट ऊपर ‘आमज माताजी’ का बड़ा मंदिर स्थित । माताजी के छोटे मंदिर के पास ही एक मनोरम झरना एवं छोटा कुंड है जहाँ 12 महीने स्वच्छ पीने योग्य ठंडा जल उपलब्ध रहता है ।

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दोनों ही मंदिर प्रकृति की गोद में सुंदरता समेटे हुए है, विशेष रूप से बड़ा मंदिर और माताजी की मूर्ति अत्यंत मनोरम एवं आकर्षक है ।

यहां प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की नवमी के दिन दोपहर बाद मंदिर पर ध्वजा चढ़ती है एवं मेला लगता है । इसी प्रकार भाद्वा माह के शुक्लपक्ष की नवमी के दिन ‘माताजी’ की मीठी पूजा होती है एवं ‘खीर’ का भोग लगता है । पूरे रीछेड़ गाँव का इस दिन उत्पादित होने वाला दूध माताजी के मंदिर को जाता है एवं सिर्फ खीर का भण्डारा होता है ।

मंदिर परिसर में भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर भी मौजूद है । सन 2000 में आमज माता मंदिर का ट्रस्ट बना है । इसमें 51 सदस्य और 11 ट्रस्टी हैं । ट्रस्ट यहां का लेखा-जोखा रखता है । वर्तमान कार्यकारिणी में अध्यक्ष सूरत सिंह दसाणा हैं । रिछेड़ गांव के पुजारी समाज के लोग यहां पर ओसरे के हिसाब से पूजा-अर्चना करते हैं ।

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तो चलिए वापसी करते हैं, जल्दी ही इसी तरह के किसी नए पोस्ट के साथ वापस लौटेंगे । धन्यवाद ।

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